Bihar में जानिए कैसे मनाते हैं Chhath Puja

Bihar में जानिए कैसे मनाते हैं Chhath Puja – त्योहार हमारी प्राचीन संस्कृति का प्रतीक होते है।और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए पर्व को सेलिब्रेट करते है। किसी भी  पर्व को मनाए जाने के पीछे भी कुछ ना कुछ वजह होती है । भारत के पर्वो में से एक पर्व जोकि की संतान प्राप्ति या उनकी लंबी आयु के लिए मनाया जाता है इस पर्व को छठ पूजा के नाम से जानते है मुख्य रूप से यह पर्व बिहार में मनाया जाता है लेकिन इस राज्य के लोग दुनिया के कोने कोने में बसे हुए है इसके चलते यह पर्व देखा देखी भारत के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा।

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जानिए क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व

इस त्यौहार को विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग मनाते हैं ,लेकिन धीरे-धीरे अन्य राज्यों के लोग भी इस पर्व को मनाने लगे हैं। इस पर्व में लोग उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर उनकी पूजा आराधना करते हैं। यहां पर सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।इस कारण से इसे छठ भी कहा जाता है। इस व्रत को वर्ष में दो बार चैत्र के महीने में और दूसरी वार कार्तिक महीने में मनाया जाता है।वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कार्तिक महीने मैं छठ पूजा की अधिक मान्यता होती है।

Bihar में छठ पूजा की शुरुआत कहां से हुई ?

ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के मुताबिक जब प्रथम मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत की कोई संतान का जन्म नहीं हुआ इस वजह से वो दुःखी रहने लगे एक महर्षि कश्यप के कहे जाने पर प्रियव्रत ने एक महायज्ञ का अनुष्ठान किया जिसके फलस्वरूप वह गर्भवती हो गई लेकिन भाग्य में इस बार भी राजा को निराश कर दिया बच्चा गर्भ भे ही मर गया ।पूरे राज्य में निराशा छा गई।इसी दौरान आसमान में एक चमकता हुए पत्थर नजर आया,जिस पर षष्ठी माता विराजमान हुई थी।

जब राजा की नजर पड़ी तो उनसे उनका परिचय पूछा माता षष्ठी ने बताया कि ब्रह्मा की मानस पुत्री हूं और में देवकन्या हूं। मै दुनिया के सभी बच्चों की रक्षा करती हूं।

और जिनकी कोई संतान नहीं होती उनको संतान का सुख आर्शीवाद देती है।इसके बाद राजा प्रियव्रत की प्रार्थना पर देवी षष्ठी ने उनके मृत पुत्र को पुनः जीवित कर दिया।देवी की असीम के देखकर राजा प्रियव्रत प्रसन्न हो गए।और उन्होंने षष्ठी देवी की पूरी श्रद्धा भक्ति से पूजा आराधना की और इसी के बाद से राजा प्रियव्रत के द्वारा छठी माता की पूजा के बाद से यह पर्व छठ पूजा  के नाम से प्रचलन में आ गया ।

सूर्य देवता और गंगा स्नान का विशेष महत्व

छठ पूजा जो कि 8 नवंबर 2021 से इस महापर्व की शुरुआत हो रही है ।यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है।इस पर्व को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाए- खाए 2021 होता है। इस दौरान श्रद्धालु महिलाएं किसी नदी ,तालाब, सरोवर में जाकर नहाती है और दिन भर में सिर्फ एक बार ही सात्विक रूप से बने भोजन को ग्रहण करती हैं। छठ के बाद आने वाले दिन यानी कि पंचमी खरना कहा जाता है। श्रद्धालु महिलाएं  दिन भर निर्जला उपवास करने की मान्यता है। शाम के वक्त अरवा चावल से बनी ,खीर और रोटी छठी मैया को अर्पण करने के बाद ही श्रद्धालुओं को प्रसाद ग्रहण करना होता है। इसके बाद से ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाता है।

कार्तिक छठ पूजा 2021 कब है

  • 8 नवंबर 2021- श्रद्धालुओ को नहाय खाय 2021
  • 9 नवंबर 2021-  प्रसाद अर्पण खरना 2021
  • 10 नवंबर 2021- डूबते सूर्य को श्रद्धालु अर्घ्य देते है
  • 11 नवंबर 2021- उगते सूर्य को श्रद्धालु अर्घ्य अर्पण करते

श्रद्धालु महिलाओं के द्वारा छठ पूजा करने की विधि :

छठ पूजा का पर्व लगभग 4 दिन तक चलता है। इस महापर्व के दिन सबसे पहले श्रद्धालु नहाए खाए होता है। इस दिन व्रत को रखने वाला घर में पवित्रता के साथ शुद्ध सात्विक भोजन को ही ग्रहण करती है ।वही दूसरे दिन उनको निर्जला उपवास रखने के बाद शाम के समय गुड़ की खीर जिसे’ रसियाव’ के नाम से जानते हैं  इसी के साथ रोटी में भोग लगाकर श्रद्धालु महिलाएं व्रत के दिन खाती हैं। सबसे कठिनाई व्रत को करने में सबसे पहले  छठ का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया जाता है। शाम के समय महिलाओं को अर्ध्य देना होता है अर्ध्य देने के लिए उन्हें आसपास के किसी भी पानी स्त्रोत के पास जाकर डूबते हुए सूरज को देखते हुए अर्ध्य देना होता है। लोग छठ के दिन खास तौर पर ठेकुए को प्रसाद के रूप में अवश्य रूप से चढ़ाते हैं ।इसके बाद छठ पूजा के अंतिम दिन यानी कि चौथे दिन उगते हुए सूरज को।सूरज देखकर श्रद्धालु महिलाएं छठ पर्व को खत्म करती है।महिलाएं प्रसाद को ग्रहण करके अपना व्रत खत्म करने का चलन है।

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पूजा सामग्री छठ पूजा के लिए

साड़ी,बांस से निर्मित टोकरियां,पीतल या बास का सूप इसके अलावा दूध ,जल ,शाली और गन्ना,मौसमी फल का चढ़ावा के रूप चढ़ाते है पान, सुथना,सुपारी और मिठाई दिया भी पूजा सामग्री के रूप में रखा जाता है जैसा कि आपको पता होगा किस सूर्य देव को छठ के दिन मौसमी फल और सब्जियां लोग श्रद्धा पूर्वक अर्पण करते हैं।

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